Looking For Anything Specific?

header ads

8 साल की बच्ची के मरने के बाद उसकी डायरी खोली गयी उसके बाद ये पता चला। SAD TRUE STORY OF GIZZELL FORD

दोस्तों बच्चो किसे प्यारे नहीं होते बेशक हर कोई उनको गॉड में उठा कर खेलना पसंद करता है  यही बच्चे बड़े होकर देश का भविष्य बनते है और अपने माता पिता का सहारा भी बनते है लेकिन क्या इस दुनिया में हर माता पिता एक जैसे होते है क्या हर माता पिता अपने बच्चे को वो प्यार दे पाते है जिसकी उनको जरुरत होती है। आपको दो बहनो की सच्ची कहानी सुनाने जा रही हु जिसको पढ़ कर आपका इस दुनिया से विश्वास उठ जायेगा।

हमारी पहली कहानी है एक छोटी बच्ची की जिसने अंतिम समय तक अच्छी ज़िन्दगी को पाने की चाह नहीं छोड़ी।  यह कहानी है जिसे हर किसी को सुनना चाहिए एक रुला देने वाली सच्ची कहानी गिजेलफोर्ड नामक एक छोटी सी बच्ची की कहानी जिसे जानने के बाद आप यही कहेंगे की काश ये कहानी जूठी होती लेकिन बदकिस्मती से यह सब कुछ सच में हुआ। हम सभी मानते है की बच्चो को हस्ता खेलता दिखना चाहिए और सभी बच्चो की तरह गिजेलफोर्ड भी एक अच्छी संस्कारी , उम्मीदों से भरी हुयी 8 साल  बच्ची थी।  उसे स्कूल जाना ,नए दोस्त बनाना बेहद पसंद था इस उम्र के बच्चो में आदत होती है की वो अपनी खुदकी एक डायरी लिखते है। वो डायरी अपने अंदर बच्चो के सभी सीक्रेट रखती  है।  लेकिन बदकिस्मती से गिजेलफोर्ड की डायरी में अच्छी और प्यार भरी बाते ही नहीं लिखी थी क्योकि उसमे ऐसे ऐसे बाते लिखी हुयी थी जिसे सुन कर मेरा भी दिल दहल गया 12 जुलाई 2013 को गिजेलफोर्ड अपने दादी के घर मृत पायी गयी देखने वालो के लिए में दिल दहला देना वाला सीन था।  असल में उस बच्ची के साथ गलत किया गया था। उससे जख्मी किया गया था की उसके घाव में कीड़े पद गए थे  ऐसे घटनाये बच्चो के साथ होती रहती है।  गिजेलफोर्ड के गुजरने के दो महीने पहले उसके दो छोटे भाई बहनो को उसके पिता के साथ भेज दिया गया था उसके पिता की हालत ठीकनही रहती थी इसलिए उसके पिता को अकेला नहीं रखा जाता था उसका ध्यान उसकी दादी रखा करती थी।  दूर से देखने पर यह घर एक आम सा घर दिखा करताथा लेकिन गिजेलफोर्ड की डायरी के पन्ने इस घर की दशा कुछ और ही बोल रहे थे यह डायरी  उसका एक मात्र सहारा थी।  गिजेलफोर्ड  को उसकी दादी द्वारा हर रोज़ सजा दी जाती थी। उसकी दादी उसको ऐसे ऐसे अवस्थाओं में खड़ा करती थी की जहा पर आप या में कुछ मिनटों में ही थक जाए जैसे एक पेर पर घंटो तक खड़े रहना।  उससे बिना खाने दिए कई दिनों तक रखा जाता था पानी पिने के लिए भी उससे बाथरूम का सहारा लेना पड़ता था।  इतना सब होने के बाद भी गिजेलफोर्ड  को यह उम्मीद थी की शायद उसकी लाइफ में सब कुछ ठीक हो जाए।
वह हर रोज़ अपने साथ हुयी घटनाओ के बारे में डायरी में लिख रही थी और साथ साथ यह भी लिखती थी की उसकी ज़िंदगी सुधर जायेगी और वो भी खेल कूद सकेगी।  इस बच्ची ने अपने लिए सपने देखे थे उसने कहा था की उससे अपने भाई बहनो के साथ टीवी देखना बहुत पसंद है। लेकिन कुछ दिनों बाद डायरी फिर से लिखी गयी और उन पन्नो में उसके साथ हुए हादसों का जिक्र किया गया अंतिम दिनों में लिखे गयी पन्नो पर कही ;भी पार नहीं दिख रहा था जो भी दिख रहा था वो दर्द था जो उसको उसके पापा और दादी द्वारा दिया जा रहा था।  उसे खाना नहीं दिया जा रहा था जिसके कारन वह कमज़ोर हो गयी थी और मरने से तीन दिन पहले उसने लिखा की I HATETHIS LIFE BECAUSE I AM IN SUPER BIG TROUBLE   जब गिजेलफोर्ड का मृत शरीर अधिकारियो को मिला और उन्होंने अपने बयान जज के सामने दिए तो जज की आँखों से भी आंसू आ गए।  डायरी बता रही थी की कैसे एक बच्ची को स्कूल जाना पसंद था , बाद में उसकी दादी और पापा को गिरफ्तार कर लिया गया और दोनों को उम्र कैद की साज हो गयी।  सजा काटते हुए पिता की मोत हार्ट अटेक से हो गयी उसकी दादी अभी भी जेल में है।  अगर पड़ोसियों को भी गिजेलफोर्ड  के साथ हो रहे अत्याचारों की भनक लग जाती तो उसे बचाया जा सकता था



Post a Comment

0 Comments