स्थानीय स्तर पर प्रबंधन में स्थानीय सहयोग प्राप्तकरने तथा प्रबंधन में भगीदारि को सुनिश्चित करने हेतु स्थानीय अभिभावक सदस्यों को विद्यालय प्रबंधन समिति मे शामिल किया जाएगा।
इस अवधारणा के साथ 8 मई 2010 को सरकार के एक आदेश अनुसार प्रत्येक विद्यालय में एक विद्यालय प्रबंधन समितिका गठन किया गया।
प्रावधान - SMC का प्रावधान RTE एक्ट 2009 की धारा 21 क व भाग 3 में किया गया है।
सदस्य संख्या - वर्तमान में SMC में कुल 16 सदस्य को शामिल किया जाता है जिसमे से 1 सदस्य पदेन सचिव होता है जोकि विद्यालय का हेडमास्टर या मुखिया होता है। यह पद सर्वकालीन स्थाई होता है।
1 सदस्य -निर्वाचित अध्यापक सदस्य होता है जिसमे महिला अध्यापिका कोपहले प्राथमिकता दी जाती है
1 सदस्य - छात्र प्रतिनिधि सदस्य होगा जिसमे बालिका को प्राथमिकता दी जाती है जो की वरिष्ठ कक्षा की छात्र या छात्रा होगी
1 सदस्य - स्थानीय स्तर का वरिष्ठ सदस्य , पार्षद , MLA द्वारा नामित सदस्य होगा
12 सदस्य स्थानीय अभिभावक होंगे जो की कुल सदस्य संख्या का 3 /4 यानी 75 %होते है
इसमें से 50 %महिला सदस्य होना अनिवार्य है (8 महिला
SMC की बैठके -
विद्यालय प्रबंधन सिमिति द्वारा कार्य करने हेतु 2 प्रकार की बैठकों का आयोजन होता है
आम सभा
- विद्यालय प्रबंधन सिमिति की आम सभा प्रत्येक तीन माह में एक बार आयोजित की जाती है तथा वर्ष में 4 बैठके करवानी अनिवार्य है
इस सभा में सिमिति के 16 सदस्य के साथ साथ समस्त अभिभावकों को भी शामिल किया जाता है
कार्यकारिणी सभा
इसमें 16 सदस्य होते है बैठक प्रत्येक माह में एक बार की जाती है जिसे मासिक बैठक के नाम से भी जाना जाता है जो एक वर्ष में काम से काम 8 तथा अधिकतम 11 बार आयोजित की जाती है
बैठकों की सुचना -सभा से 4 दिन पहलेलिखित या मौखिक रूप से देना अनिवार्य होता है
कोरम/ गणपूर्ति
SMC की सभा हेतु कुल सदस्य संख्या का 1 /3 भाग सभा में उपस्तित होना अनिवार्य है
यदि कोरम की व्यवस्था नहीं होती तो सभा को स्थगित कर दिया जाता है तथा उस स्थिति में 2 दिन पूर्व का नीतीश देकर 7 दिनों के अंदर वापस सभा का आयोजन करवाया जाता है
समय / दिन - अमवस्या के दिन
स्थान - विद्यालय स्टार पर सभा का आयोजन किया जाता है
अध्यक्ष का निर्वाचन एवं कार्य -अध्यक्ष का निर्वाचन स्थानीय अभिभावक सदस्यों में से सभी की आपसी सहमति सदस्य का किया जाता है
साथ ही साथ उन सभी सदस्यों में से एक उपाध्यक्ष का भी चयन होता है
सचिव - SMC का सचिव पदेन जिसकी मुख्य कार्य समिति से सम्बंधित सभी प्रकार की योजना का निर्धारण करना होगा
- SMC के कोष से धन राशि को अध्यक्ष तथा सचिव के सयुक्त हस्ताक्षर से ही निकला जा सकेगा
- SMC का गठन 2 वर्षो के लिए होताहै
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