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लोक सेवा आयोग क्या है जाने उसका इतिहास विस्तार से पार्ट -1

                                                             भारत में नौकरशाही ढांचा 
1 लोक सेवा का अर्थ एवं विकास
 
  • लोक सेवा  प्रशासकीय सेवा की नागरिक शाखा या असैनिक शाखा है 
  • मेक्स वेबर  नियुक्त किये गए अधिकारियो के समूह को नौकरशाही कहते है और इन नियुक्त किये गए अधिकारियों की नागरिक शाखा को लोग सेवा कहते है 

लोक सेवा = नौकरशाही -सैन्य सेवा 

  • फाइनर के अनुसार - लोक सेवा अधिकारियो का एक व्यावसायिक निकाय है जो स्थायी वेतनभोगी और कार्यकुशल हो 
  • ग्लेडन के अनुसार -लोक सेवा प्रशासन के क्षेत्र में तटस्थ विशेषज्ञों का व्यावसायिक निकाय है 
  • ब्रिटेन में सिविल सेवा कतात्पर्य उन कार्मिको से है जो राजनितिक या न्यायिक पदाधिकारियों के अतिरिक्त ताज के सेवक है जो असैनिक रूप से सेवायोजित है और जिनका पारिश्रमिक पूर्णतया प्रत्यक्षत उस धन राशि में से दिया जाता है जो संसद द्वारा इससहेतु स्वीकृति की गयी हो 
  • अमेरिकन विश्वकोश के अनुसार - लोकसेवा उन संगठित वेतनभोगी कार्मिको के निकाय को कहते है जो सरकार के अध्कार क्षेत्रो में कार्यरत है 
  • न्यू वेब्स्टर शब्दकोश के अनुसार-लोक सेवाओं से आशय निम्नांकित सेवाओं या कार्मिको से है 
  1. रक्षा तथा न्यायिक कार्यो के अतिरिक्त सभी कार्मिक जो सरकारी प्रशाशन में नियुक्त है 
  2. ऐसी सरकारी सेवा जिसमे कार्मिक का कार्यकाल सुरक्षित है तथा प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से प्रवेश पाया है 
  3. सरकारी विनियमों के अधीन गठित सेवा लोक सेवा है 

  • भारतीय दंड सहिंता IPC की धारा 21 के अनुसार - सरकारी सेवारत या वेतन पाने वाला अथवा सरकारी कार्य के लिए शुल्क या कमीशन पाने वाले व्यक्ति लोक सेवा की श्रेणी में आता है 

  • उच्चतम न्यायलय ने 1979 में एक निर्णय में कहा की मुख्यमंत्री भी लोक सेवक की श्रेणी  है क्योकि वह भी सरकारी वेतन प्राप्त करने वालाव्यक्ति है 

  • ब्रिटिश टॉमलिन आयोग 1929 -31 -लोकसेवा के अंतर्गत राजशाहीकेवेसेवक आते है (राजनीकित अथवा न्यायिक पधाधिकार्यो के अतिरिक्त जिनको नागरिक (असैनिक ) पद पर सेवा में रखा जाता है और जिनका वेतन पुरे औरप्रत्यक्ष  तौर पर संसद द्वारा स्वीकृत धन से किया जाता है 

  • ई एन ग्लेर्डन - लोकसेवा से अपेक्षा की जाती है की वह निष्पक्ष से चयनित प्रशासनिक रूप से कार्यक्षमता राजनितिक तौरपर निष्पक्ष और समाज के प्रति सेवा की भावना से ओतप्रोत हो 

लोक सेवा की विशेषताए
  • इनमे सैनिक न्यायिक और पुलिस सेवाओं के लोग शामिल नहीं होते है 

  • इसमें वे लोग भी नहीं जो राज्य के लिए अवैतनिक पद पर काम करते है 

  • यह अव्यवसायिक राजनीतिज्ञों के विपरीत व्यावसायिक प्रशाशको की संस्था है 

  • निष्पक्ष चयन इसके सदस्यों का चयन पार्टी के आधार पर निर्वाचित होने वाले राजनीतिज्ञों के विपरीत खुली प्रतियोगिया के द्वारा होता है 

  • उनको नियमित रूप से राज्य के द्वारा भुगतान किया जाता है लोकसेवा में रहते हुए लोकसेवको को निजी लाभ का प्रोत्साहन प्राप्त नहीं होता है 

  • इसके सदस्य सार्वजनिक सेवा को जीवनभरके करियर के तोर पर लेते हे इसलिए यह करियर सेवा है 

  • लगातार प्रशिक्षण और कार्य अनुभव के कारण ये अपने व्यवसाय के विशेषज्ञ बन जातेहै इस अर्थ में इसके सदस्य कार्यकुशल होते है 

  • यह क्षेणी क्रम सिद्धांत के आधार पर संगठित होती है जिसमे आदेश निचले पद से सबसे ऊपर ली और पिरामिड की तरह एक कड़ी में फैलती है 

  • निष्पक्षता इसके सदस्य भिन्न भिन्न राजनितिक शासनो काकाम निष्पक्षता से करते है 
  • अनामिकता यह बिना किसी प्रशंसा और निंदा के काम करती है 
3 भारत में लोक सेवा का विकास 
  1. मौजूदा समय की लोक सेवा की उत्पति ईस्ट इंडिया कंपनी के समयसे देखि जा सकती है कंपनी के द्वारा अपनी ववाणिज्यिकगतिविधिया के निष्पादन हेतु लोक सेवा का गठन किया गया 
  2. 1765 ई. में इलाहबाद किसंधि द्वारा मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल बिहार और उड़ीसा के दीवानी अधिकार दिया तब राजस्व एकत्रण के लिए कानून व्यववस्था की स्थापना की शक्तिशाली लोक सेवा को दी गयी।  लोक सेवा शब्द का प्रयोग भी 1765 से ही किया गया। 
  3. 1765 के उपरांत कंपनी का व्यवसाय विकसित होने के कारण लोक सेवा के प्रशासनिक कार्यो में भी वर्द्धि हुयी। 

  5 1773 ई के रेग्युलेटिंग एक्ट के अंतर्गत निम्नांकित प्रावधान किये गए है। 

  • कंपनी के असैनिक एव  वाणिज्यिक कार्यो के बिच अंतर किया गया परिणामस्वरूप एक पृथक  कार्मिक वर्गीकरण अस्तित्व में आया। 
  • प्रशासन के राजस्व एव न्यायिक कार्यो को कंपनी के वाणिज्यिक लें दें से अलग किया गया 

  • जो लोक सेवक राजस्व प्रशासन एवं न्याय प्रशासन के लिए उत्तरदायी माने गए उनके निजी व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया 
  • किसी प्रकार के उपहार लेना लोक सेवको के लिए वर्जित किया गया 
 6 . इस प्रकार 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के द्वारा प्रथम बार लोक सेवको को वाणिज्यिक सेवाओं से पृथक किया ;गया 

7 . इसी एक्ट के द्वारा कलेक्टर का पद सृजित किया गया जो राजस्व एकत्राण  तथा ग्राम प्रशासन के लिए उतरदायी था वह मजिस्ट्रेट तथा सर्वोच्च पुलिस अधिकारी भी था
 
8 . 1981 की केन्द्रीकरण योजना के अनुसार राजस्व मंडल की स्थपना की गयी 

9  . पिट्स इंडिया एक्ट 1884 में पहली बार कंपनी की सेवा में भर्ती होने के लिए आयु सीमा का निर्धारण किया गया राष्ट्र के पद पर भर्तीहोने  न्यूनतम आयु 15 वर्ष एवं अधिकतम आयु 18 वर्ष राखी गयी 

10 . लार्ड वेलेजली ने 1800 ई में लोकसेवको के प्रशिक्षण के लिए कलकत्ता में पफोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की 1806 में इस कॉलेज को बंद कर दिया गया और इसकी जगह 1813 में हेल्सबरी इंग्लैंड में कॉलेज का निर्माण किया यह कॉलेज 1857 तक चला लार्ड मेकाले की सिफारिश पर इसे बंद कर दिया गया 


11 . चार्टर अधिनियम 1833 में सीमित प्रतियोगिता परीक्षा का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया इसके द्वारा लोक प्रशासन में प्रवेश भारतीयों के लिए भी खुला।  इसके पूर्व यह पूर्णत अंग्रेजो तक सीमित था 

12 . 1844 में सरकारी सेवाओं में नियुक्त के लिए अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य विषय बनाया गया 

13 . 1853 के चार्टर द्वारा भारत में संरक्षक प्रणाली को समाप्त कर खुली प्रतियोगिता द्वारा भर्ती का प्रावधान किया गया। 
  • 1854 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षता में कमेटी ों सिविल सर्विसेज गठित की गयी इस कमिटी द्वारा निम्नांकित मुख्य सिफारिशें की गयी 
  • आयु सीमा का निर्धारण 18 से 25 तक किया गया 
  • प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से उमीदवारो का चयन 
  • परीक्ष का आयोजन ब्रिटेन में 
  • भर्ती के समय उमीदवारो से सामान्य ज्ञान एवं शिक्षा पर विशेष बल 
  • उमीदवारो का चयन वास्तविक ज्ञान के ादहर पर न की सतही ज्ञान के आधार पर 
14 . प्रथम प्रतियोगिता परीक्षा  1855 में आयोजित की गयी। 

15 .  1858 में यह परीक्षा ब्रिटेन सिविल सेवा कमीशन द्वारा आयोजित की गयी 
16 .  1861 में भारतीय सिविल सेवा अधिनियम पारित हुआ 
17 .  1864 में सत्येंद्र नाथ टैगोर प्रथम भारतीय आई पी एस चुने गए 
18 .  1870 में वैधानिक लोक सेवा (स्टेटुटयुरि  सिविल सर्विस  प्रारम्भ हुआ 

19 .  1886 में सर चार्ल्स ऐचिंसन की अध्यक्षता में ऐचिंसन आयोग का गठन हुआ।  इस आयोग का              कार्य लोक सेवा में विभिन अंग में भारतीयों की भर्ती सम्बन्ध में कार्य नीति तय करना था इसकी            प्रमुख सिफारिशें निम्नांकित थी 
लोक सेवा का वर्गीकरण तीन श्रेणियों में किया गया 
  • इम्पीरियल सेवा 
  • प्रांतीय सेवा 
  • अधीनस्थ सेवा 

  1. प्रांतीय व् अधीनस्थ सेवा में केवल भारतीयों को लियाजाये 
  2. प्रांतीय सेवा का नामकरण प्रांतो के नामो के आधार पर किया जाए 
  3. भारत और ब्रिटेन में एक साथ परीक्षा आयोजित करना उचित नहीं है 
  4. स्टटेयुटरी सिविली सेवा को समाप्त कर दिया जाए। 
 
20.  1893 में ब्रिटिश हाउस ऑफ़ कॉमन्स ने एक प्रस्ताव पारित कर भारत और ब्रिटेन में एक साथ प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की लेकिन इससे क्रियान्वित नहीं किया जा सका 

21. 1912 में लार्ड ईसलिगटन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया जिसके एक सदस्य गोपाल कृष्ण गोखले भी थे इस आयोग ने 1917 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की इसकी प्रमुख सिफारिशे इस प्रकार थी 
  • भारत ा इंग्लैंड में एक साथ परीक्षा किये जाने की अनुसंशा पहली बार 
  • भारतीय उच्च सेवाओं में 25 झ पद भारतीयों ले लिए सुरक्षित रखे जाए इनमे से कुछ सीधी भर्ती से तथा कुछ प्रांतीय सेवा से प्रोनत किये जाए 
  • साम्राज्यीय सेवा के निचे केंद्रीय सेवा प्रथम व् द्वितीय वर्ग की स्थापना की जाए। 
22.  1918 में मॉनेटेन्गयू चेम्सफोर्ड रिपोर्ट में सिविल सेवा हेतु निम्नांकित सिफारिशें की गयी 
  • सिविल सेवा परीक्षा ब्रिटेन व  भारत में एक साथ ली जाये 
  • सिविल सेवा में उच्च पदों पर 33 % भारतीयों की नियुक्ति हो तथा इनमे प्रतिवर्ष 1.5 %की वर्द्धि की जाए 
  • सभी नियुक्तियां का आधार योग्यता हो 
  • साम्प्रदायिकता आधार पर प्रतिनिधित्व 

23.  गवर्नमेन्ट ऑफ़  इंडिया एक्ट 1919 (मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड अधिनियम ) में भी लोक सेवाओं में भर्ती के लिए एक सेवा आयोग की स्थापना की बात की गयी थी जिसमे अध्यक्ष सहित पांच सदस्य की बात की गयी थी जिसमे अध्यक्ष सहित पांच सदस्य पांच वर्ष के लिए नियुक्ति का प्रावधान था पर गठन नहीं हो सका।               
 इस अधिनियम में लोक सेवा का वर्गीकरण तीन प्रकार से किया गया 
  • अखिल भारतीय सेवा 
  • प्रांतीय सेवा 
  • अधीनस्थ सेवा 

24.  1922 में भारत में प्रथम परीक्षा इलाहबाद में आयोजित की गयी।  इस अधिनियम के अंतर्गत बने नियम न्यागमन नियम(डिवॉल्युँशन रूल्स ) के रूप में जाने जाते थे। 

25. 1923 में लार्ड की की अध्यक्षता में ली आयोग का गठन किया गया।  आयोग ने 1924 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में निम्नांकित प्रमुख सिफारिशे की 
  1. लोक सेवा का वर्गीकरण तीन प्रकार से 
  • अखिल भारतीय सेवा 
  • केंद्रीय सेवा 
  • प्रांतीय सेवा  
      2 . सभी अखिल सेवाओं में कम से कम 20 % नियुक्तियां प्रांतीय सेवा से पदोन्ति के आधार पर की जाए 
      3.   वैधानिक लोक सेवा आयोग का गठन किया जाए 
      4 .    ली आयोग की स्थपना की गयी 1926 में प्रथम लोक सेवा आयोग की स्थपना की गयी जिसके अध्यक्ष सर रोस बरकार थे इसने 1 अक्टूबर 1929 से कार्य प्रारम्भ किया 


26 .  भारत सरकार अधिनियम 1935 के अनुसार -संघ के स्टार पर संघीय लोक सेवा आयोग और प्रत्येक प्रान्त के स्टार पर प्रांतीय लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान यदि दो प्रांतो के बिच सहमति हो तो सयुक्त प्रांतीय लोक सेवा आयोग का गठन संभव 
प्रांतीय स्वायत्ता के प्रावधान के कारण केवल तीन सेवाओं को अखिल भारतीय सेवाओं की संज्ञा 
  • इंडिडयन सिविल सर्विस 
  • इंडियन पुलिस सर्विस 
  • इंडियन मेडिकल सर्विस 
1920 में 9 अखिल भारतीय सेवाएं थी 






आये लोक सेवा आयोग क्या है पार्ट 2 में देखेंगे 
धन्यवाद 










                












































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