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ये लड़का गुम हुआ। 25 साल बाद मिला तो दुनिया हिल गयी

दोस्तों क्या आप चमत्कार में विश्वास करते है अगर नहीं तो ये कहानी पढ़ कर आपका दिमाग एक डैम बदल जाएगा।  इस पोस्ट को पूरा पढ़ना सच में दिल पिधला देने वाली ये कहानी है।
एक चार साल का बच्चा जिसका नाम सारु था जो की दक्षिण भारत के किसी छोटे से गांव में रहा करता था तथा उसका जनम एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए सारू का बड़ा भाई जिसका नाम गुड्डू था ट्रैन को धोने का काम किया करता था। उसकी माता लोगो के घरो में काम करने अपने परिवार का भरण पोषण करती थी ये बिलकुल भी आसान काम नहीं था। 
एक दिन उनकी माता को रात को किसी काम से बाहर जाना पड़ा जिसके बाद गुड्डू के बड़ा भाई का काम था की वह अपने भाई सारू को सुला कर काम पर चला जाए उसे भी रात को ही अपने काम पर निकलना था। लेकिन इस कहानी में बदलाव आया जिसने इस परिवार को ऊपर से निचे तक बदल कर रख दिया। उस रात सारू सोना नहीं चाहता था क्योकि उसकी उम्र सिर्फ चार साल थी और इस ;उम्र में बच्चे अकेले कभी नहीं सो सकते है उसने रोना शुरू कर दिया और अपने भाई गुड्डू से उसके साथ जाने की जिद्द  करने लगा , गुड्डू ने हार मान ली और दोनों भाई साईकिल पर रेलवे स्टेशन की तरफ चल दिए
सक्सेस स्टोरी 


गुड्डू को लग रहा था की वह कुछ ही समय में अपना काम ख़त्म कर  लेगा और माँ के आने से पहले वह सारू को घर ले जाएगा।  गुड्डू ने सरु को बैंच पर सुलाया लेकिन सारू को अभी भी चैन नहीं था वह जा कर ट्रैन में चढ़ गया और ट्रैन की फर्श पर सो गया जब वह उठा तो ट्रैन  रफ़्तार से  थी और उससे अभी नहीं पता था की ये ट्रैन अब कहा जा कर रुकेगी।  तेज़ रफ़्तार से बढ़ती हुयी गाडी देख कर सारू घबरा गया पुरे दो दिनों तक ट्रैन बिना रुके चलती रही और ट्रैन अपने निर्धारित स्थान पर जा कर रुकी।  जी हां कलकत्ता रुकी और ये जगह सारू के लिए एकदम नयी थी और यहाँ के लोग भी अलग थे और वह दुविधा में पढ़ गया की अब वह कैसे अपने घर जाएगा। 
कोई भी सारू पर ध्यान नहीं दे रहा था क्योकि उनके लिए भी ऐसे  भीख मांगता देखना आम बात थी सारू इधर उधर घूमता रहा और फिर सड़क किनारे सो गया ऐसे ही कुछ और दिन भी उसके सड़को पर बीते एक दिन वह बहुत भूखा था तो सड़क के किनारे एक रेटोरेन्ट के सामने जा कर बैठ गया खिड़की से उसने  देखा की एक आदमी वहा बैठ कर खाना खा रहा है।  उसने उस आदमी की तरह अपनी उंगलियों की तरह चाटना शुरू कर दिया इस तरह का काम करते हुए उस आदमी की नज़र सारू पर गयी।  उस आदमी ने सारू से पूछा की वो अकेला यहाँ क्या कर रहा है उसका परिवार कहा है लेकिन सारू अपने बारे में कुछ भी बताने में समर्थ नहीं था।  इसके बाद वो आदमी सारू को अनाथालय ले गया क्योकि उसके माता पिता को ढूंढ पाना लगभग नामुमकिन था क्योकि उसको पढ़ना लिखना नहीं आता था तो बहुत कोशिशों के बाद  उसके परिवार का कुछ पता नहीं चला तो सारू को अनाथ मान लिया गया
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।  ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले एक जोड़े ने सारू की फोटो अनाथालय की साइट पर देखी और उन्होंने उसे गोद लेने का सोचा उन्होंने सारू की कागज़ी कारवाही करी और उसे अपने साथ ऑस्ट्रेलिया ले आये। समुन्द्र पार अब सारू ले  घर था  माता पिता थे , अच्छा खाना था वह उसकी सारी  ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल गयी वहा वो स्कूल जाता , नए दोस्त बनाता , गेम्स खेलता आम शब्दो में कहे तो वह एक अच्छी ज़िन्दगी जी रहा था। समय बीता उसने स्कुल पास कर लिया और उसका दाखिला कॉलेज में हुआ ,उसके पास अपनी खुदकी एक गाडी भी थी लेकिन इन सबके बीच उसके दिल में पुरानी यादे थी जो उसके माता पिता और भाई की थी क्या वो कभी अपने भाई से मिल पायेगा , क्या उसकी माँ उसको फिर से पहचान पायेगी
समय बीता लेकिन अभी भी उसने अपने परिवार से मिलने की उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी।  कॉलेज में पढ़ते हुए उससे गूगल अर्थ की जानकारी हो चुकी थी। वो घंटो उस पर बैठ कर इंडिया का नक्शा देखता और अपने गांव से मिलता जुलता कुछ ढूंढ रहा था। उसने खुद बताया की दिन में लगभग दिन में 10 घंटे अपने लेपटॉप पर लगा रहता इस तरह उसने पूरा एक साल यह काम किया , उसने ऑस्ट्रेलिया में बैठ कर इंडिया के हर रेलवे स्टेशन को छाना लेकिन सबको पता है की इंडिया में 10,000 से भी ज्यादा रेलवे स्टेशन है।  दिन रात मेहनत करने के बाद किस्मत ने उसका साथ दिया उसे कुछ सेटेलाइट फोटोज मिली , जिसे देख कर उसे विश्वास नहीं हुआ की ये जगह उसके पैतृक गांव से मिलती जुलती थी , उससे अपने गांव में नदी पर बना ब्रिज याद था , जी हां उसे अब अपना गांव मिल चूका था।  उसने बिना देरी किये फ्लाइट पकड़ी और इंडिया आ गया , और एयरपोर्ट से सीधा अपने गांव आया। लेकिन उसे डर लग रहा था की कही यहाँ उसका कोई परिवार का सदस्य रहता ही नहीं हो , क्या वो मुझे पहचाने पाएंगे ऐसे कई सवाल उसके मन में थे ,और इन्ही सवालों को मन में लिए वो चला जा रहा था की एक बूढी औरत ने उसको गले से लगा लिया , बेशक ये उसकी असली माता थी सारू ने तो नहीं पर उसकी माँ ने उसे पहचान लिया , एक माँ अपने बेटे से 25 साल बाद मिली थी , सारू के लिए एक और झटका उसका इंतज़ार कर रहा था , उसका बड़ा भाई गुड्डू अब मर चूका था  अब आप सोच रहे होंगे की ये कैसे हुआ ये उसी रात हो गया था जब सारू उस स्टेशन से गायब हुआ था , गुड्डू सारू को ढूंढने के लिए स्टेशन पर इधर उधर भटक रहा था और इसी बिच वो ट्रैन के निचे आ गया जिसके बाद उसकी जान चली गयी

सारू ने बताया की हरकोई उसको यही बोलरहा था की वह  अपने परिवार को नहीं ढूंढ पायेगा की इतने बड़े देश में एक छोटे से गांव को ढूंढ पाना लगभग ना मुमकिन था लेकिन आपके दिल में कोई चाह है और आप उसको करना चाहते है तो यकीन मानिये आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है
आज सारू ऑस्ट्रेलिया में रहता है हर महीने वो कुछ पैसे माँ को भेजता है , और अब उसकी माँ को कोई काम करने की जरुरत नहीं है जो वो पहले किया करती थी। कमाल की बात ये है की सारू की ज़िन्दगी पर एक फिल्म भी बनी है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और खेंचा



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