मैं भी ऐसा ही सोचती थी जब तक मेरी शादी नहीं
हुयी थी। मेरी शादी एक NRI से हुयी। जो शादी के 15 दिन के अंदर
मुझे छोड़ कर चले गए उसके बाद मेने UPSC
सिविल सर्विस करने का सोचा और में उसमे सफल रही
ये कहानी है कोमल गणात्रा की जो अभी वर्तमान में मिनिस्ट्री
ऑफ़ डिफेंस में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर
के पद पर कार्यरत है
ऑफ़ डिफेंस में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर
के पद पर कार्यरत है
बचपन में उनकी पढाई गुजरात में गुजराती मीडियम में हुयी
और उनके लिए गुजराती मीडियम की पढाई उनके लिए
और उनके लिए गुजराती मीडियम की पढाई उनके लिए
लाभदायक रही क्योकि उन्होंने UPSC एग्जाम गुजराती
में दिया। और जिस साल उन्होंने UPSC दिया उस साल वो
में दिया। और जिस साल उन्होंने UPSC दिया उस साल वो
गुजराती मीडियम की टॉपर रही। उनके पापा टीचर थे उन्होंने
बताया की पापा हमेशा बड़ी बड़ी बाते सिखाया करते थे
बताया की पापा हमेशा बड़ी बड़ी बाते सिखाया करते थे
माँ ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी और इनके अलावा 2 भाई बहन
और थे परिवार में और आज वे भी अपने अपने क्षेत्र में बहुत
और थे परिवार में और आज वे भी अपने अपने क्षेत्र में बहुत
आगे है। उनके घर में बेटा बेटी को लेकर कोई भेद भाव नहीं
होता था ये छोटी बताना इसलिए जरुरी है क्योकि ये छोटी
होता था ये छोटी बताना इसलिए जरुरी है क्योकि ये छोटी
छोटी बाते DECIDE करती है की बच्चा ज़िंदगी में कितना
आगे जाएगा। जब आप घर में ही अपने बेटा बेटी में भेदभाव
आगे जाएगा। जब आप घर में ही अपने बेटा बेटी में भेदभाव
रखते है तो ये उनकी दिमाग पर बहुत असर करता है। इसलिए
हमेशा बच्चो को ये बताया जाना चाहिए की तुम श्रेष्ठ हो।
हमेशा बच्चो को ये बताया जाना चाहिए की तुम श्रेष्ठ हो।
इन छोटी छोटी बातो से बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ता है कोमल
ने बताया की मेरे परिवार मुझे परवरिश दी गयी। मेने
ने बताया की मेरे परिवार मुझे परवरिश दी गयी। मेने
OPEN यूनिवर्सिटी से ग्रजुऐशन किया वहा मुझे सिखने को
मिला की जब आप कोई सब्जेक्ट खुद से पढ़ते हो तो कोई
मिला की जब आप कोई सब्जेक्ट खुद से पढ़ते हो तो कोई
सब्जेक्ट मुश्किल नहीं होता।
उसके बाद मेने तीन अलग अलग भाषाओ में ग्रेजुएशन किया।
मेने अपने शुरुवात महज 1000 रुपये से स्कूल में पढ़ाना शुरू
किया उस समय में प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रही थी।
किया उस समय में प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रही थी।
उस समय मेने गुजरात पब्लिक सर्विस कमीशन का मैन्स एग्जाम
क्लियर कर लिया था। तब मेरी शादी NRI से हो गयी
क्लियर कर लिया था। तब मेरी शादी NRI से हो गयी
लेकिन मेरे हसबैंड नहीं चाहते थे की इंटरव्यू दू। मेने हालत के
साथ समझौते कर लिए क्योकि उनको न्यूज़ीलैण्ड रहना था
साथ समझौते कर लिए क्योकि उनको न्यूज़ीलैण्ड रहना था
और मेने हर वो बात मानी जो उन्होंने कही क्योकि में उनको बहुत
प्यार करती थी और उनके साथ रहना चाहती थी लेकिन
प्यार करती थी और उनके साथ रहना चाहती थी लेकिन
क्या होता है जब आपको प्यार करने वाला इंसान आपको छोड़
कर चला जाता है
कर चला जाता है
न्यूज़ीलैण्ड जाने के बाद उन्होंने मुझे बिलकुल फ़ोन नहीं किया।
शादी के महज 15 दिन बाद वो चले गए उसके बाद
शादी के महज 15 दिन बाद वो चले गए उसके बाद
उसने मुझे कभी फ़ोन ही किया। शुरुवात में मेने सोचा की में
उनके पीछे जाउंगी और उनको यहाँ ले कर जाउंगी मेरी
उनके पीछे जाउंगी और उनको यहाँ ले कर जाउंगी मेरी
दुनिया एक दम से बदल अभी बता नहीं सकती की उस समय
मुझे कैसा लग रहा था वो दर्द शायद शब्दो में बया नहीं हो
मुझे कैसा लग रहा था वो दर्द शायद शब्दो में बया नहीं हो
सकता। मेने न्यूज़ीलैण्ड की पूरी संसद को लिखा की ऐसा कानून
क्यों है की हसबैंड वहा रहतेहै और शादी के बाद हम वहा
क्यों है की हसबैंड वहा रहतेहै और शादी के बाद हम वहा
जा भी नहीं सकते वहा की संसद ने भी मुझे जवाब दिया लेकिन
क्या किसी इंसान को जबरदस्ती वापस लाया जा सकता है ???????????????????????????????????????
क्या किसी इंसान को जबरदस्ती वापस लाया जा सकता है ???????????????????????????????????????
क्या इंसान के पीछे भागना आपकी ज़िंदगी का मकसद हो सकता है ????????????????????????
मुझे समझ आया किसी विशेष लक्ष्य के लिए बने हुए है और आपको
उस क्षमता को पहचानना होता है किसी के पीछे भागना
उस क्षमता को पहचानना होता है किसी के पीछे भागना
आपके जींवन का लक्ष्य नहीं होता है उस समय मुझे समझ आया
की शादी आपको परिपूर्ण नहीं बनती है और एक स्री की
की शादी आपको परिपूर्ण नहीं बनती है और एक स्री की
पहचान उसका पति नहीं होता है वो खुद अपनी पहचान बनाएगी।
बहुत सी सामाजिक मान्यताये होती है हम समाज मे रहते है समाज
हमसे बना होता है लेकिन कोई भी सामाजिक मान्यता
हमसे बना होता है लेकिन कोई भी सामाजिक मान्यता
आपके अस्तित्व के भोग पर नहीं होनी चाहिए सबसे पहले आपका
अपना अस्तित्व है उसके बाद और कुछ है।
अपना अस्तित्व है उसके बाद और कुछ है।
मुझे समझ आया की पापा ने बचपन में जो सिखाया है वो सपना पूरा
करने का वक़्त आ गया है. और यह निर्णय लेना मेरे लिए
करने का वक़्त आ गया है. और यह निर्णय लेना मेरे लिए
आसान नहीं था। मेने UPSC की तैयारी करने का सोचा शुरुवात में
मेरे पास नौकरी नहीं थी तो मेने छोटे एग्जाम की तैयारी की
मेरे पास नौकरी नहीं थी तो मेने छोटे एग्जाम की तैयारी की
और 2 साल बाद मुझे गवर्नमेंट टीचर की नौकरी मिल गयी। जिसका
वेतन महज 5000 था। में अपने मम्मी पापा के घर से दूर
वेतन महज 5000 था। में अपने मम्मी पापा के घर से दूर
40 किलोमीटर रहने चली गयी एक छोटे से गांव में। वहा मेरे पास
ना तो मेरे पास इंटरनेट था ना ही इंग्लिश NEWSPAPER
ना तो मेरे पास इंटरनेट था ना ही इंग्लिश NEWSPAPER
आता था , ना ही मेरे पास स्मार्ट फ़ोन था ना ही लेपटॉप था , लेकिन
फिर भी में तैयारी में लगी रही हर संडे को अहमबाद में
फिर भी में तैयारी में लगी रही हर संडे को अहमबाद में
मेरा सब्जेक्ट सिखने को जाती थी , मेने मेरी UPSC की तैयारी
के दौरान कोई भी छुट्टी नहीं ली क्योकि मेरा मानना है की
के दौरान कोई भी छुट्टी नहीं ली क्योकि मेरा मानना है की
UPSC आपसे प्रेक्टिकल एग्जाम पूछता है आपको प्रेक्टिकल
लाइफ में अवेयरनेस होनी चाहिए जब आप अपने कम्फर्ट जोन
लाइफ में अवेयरनेस होनी चाहिए जब आप अपने कम्फर्ट जोन
से बहार आ जाते हो तो आपकी बड़ी उलझन लगती है की हे
भगवान् अब कैसे होगा लेकिन सफलता पाने के लिए आपको
भगवान् अब कैसे होगा लेकिन सफलता पाने के लिए आपको
अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना पड़ता है।
मेरे साथ भी यही हुआ धीरे धीरे माँ बाप का साथ भी छूट गया में
बिलकुल अकेली हो गयी लेकिन जब कोई लक्ष्य आपके पास
बिलकुल अकेली हो गयी लेकिन जब कोई लक्ष्य आपके पास
हो तो आप खुदको अकेला नहीं पाते आपका पूरा ध्यान लक्ष्य की
तरफ होता है मेने अपने आप को कभी भटकने नहीं दिया ,
तरफ होता है मेने अपने आप को कभी भटकने नहीं दिया ,
क्योकि ये एग्जाम एक एग्जाम नहीं था मुझे मेरा आत्मसम्मान
वापस लाना था। मेने अपने आपको हमेशा पॉजिटिव रखा
वापस लाना था। मेने अपने आपको हमेशा पॉजिटिव रखा
क्योकि मेरे मानना था जो आप सोचते हो वो आप बनाते हो
और मेने मेरा लक्ष्य प्राप्त किया ..................................
और मेने मेरा लक्ष्य प्राप्त किया ..................................
0 Comments