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भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) 1984

  भोपाल गैस त्रासदी 24 साल पहले दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी हुई भोपाल में यूनियन कार्बाइड नामक अमेरिकन कंपनी का कारखाना था जिसमें कीटनाशक बनाए जाते थे 2 अगस्त 1984 को रात के 2:00 बजे के कार्बन यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से मिथाइल आइसोसायनाइड गैस रिसने लगी यह बहुत जहरीले गैस होती है                                                            


      इस दुर्घटना की चपेट में आने वाले आजीजा सुल्तान तकरीबन12:30 बजे मुझे अपने बच्चे की तेज खांसी की आवाज सुनाई दी कमरे में हल्की सी रोशनी थी मैंने देखा कि पूरा कमरा सफेद धुआ से भ रा हुआ था मुझे लोगों की चीखने की आवाजें सुनाई दी सब कह रहे थे भागो भागो इसके बाद मुझे भी खासी आने नहीं लगी, लगता था जैसे मैं आग में सांस ले रही हूं आंखें बुरी तरह जलने लगी 3 दिन के भीतर 8000 से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चलें गए लाखो लोग गंभीर रूप से प्रभावित है 



जहरीले गैस के संपर्क में आने वाले ज्यादातर लोग गरीब कामकाजी  परिवारों के थे उनमें से लगभग 50000 लोग आज भी इतने बीमार है कि कुछ काम नहीं कर सकते जो लोग इस गैंस के असर में आने के बावजूद जिंदा रह गए उनमें से बहुत लोग गंभीर  स्वास विकारों  की बीमारियों तथा अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं बच्चों में अजीबोगरीब विकृतियां पैदा हो रही है यह तबाही कोई दुर्घटना नहीं थी यूनियन कार्बाईड में पैसे बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को जानबूझकर नजरअंदाज किया था 2 दिसंबर की त्रासदी से बहुत पहले भी कारखाने में गैस का रिसाव हो चुका था इस घटना में एक मजदूर की मौत हुई थी जबकि बहुत सारे लोग घायल हुए थे



भारत यूनियन कार्बाइड में कारखाना तो बंद कर दिया है लेकिन भारी मात्रा में विषैले रसायन छोड़ दिया यह रसायन उस पर जमीन में जा रहे हैं जिससे वहां का पानी दूषित हो रहा है अब यह संयंत्र डाउ केमिकल नामक कंपनी के जो इसकी साफ-सफाई का जिम्मा उठाने को तैयार नहीं है 24 साल बाद लोग न्याय  के लिए संघर्ष कर रहे थे उनके साथ पानी स्वास्थ्य सुविधाओं और यह कार्रवाई के जवाब से ग्रस्त लोगों के लिए नौकरी की मांग कर रहे थे उन्होंने यूनियन कार्यालय को सजा दिलाने के लिए आंदोलन चलाया है

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