गिरी दुर्ग का उत्कृष्ट उदाहरण बूंदी का तारागढ़ किला पर्वत की ऊंची चोटी पर स्थित होने के कारण धरती से आकाश के तारे के समान दिखलाई पड़ने के कारण तारागढ़ के नाम से प्रसिद्ध है इस किले का निर्माण चौदहवीं शताब्दी में रघुवर सिंह ने मेवाड़ मालवा और गुजरात की ओर से संभावित आक्रमणों से बूंदी की रक्षा करने के लिए करवाया था।
लगभग 1426 फीट ऊंचे पर्वत शिखर पर बना यह किला 5 मील के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दुर्ग चारों ओर से तिहरे परकोटे से सुरक्षित है। वीर विनोद के अनुसार महाराणा क्षेत्र से बूंदी विजय करने के प्रयास में मारे गए थे। उनके पुत्र महाराणा लाखा काफी प्रयत्नों के बावजूद भी वहीं पर अधिकार न कर सके ,तो उन्होंने मिट्टी का नकली दुर्ग बनवाया , उसे ध्वस्त कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की लेकिन नकली दुर्ग की रक्षा के लिए भी कुम्भा हाडा ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।
किले के भीतर बने शिल्प कला एवं चित्रों के कारण है इसका स्थापत्य कछवाहा राजवंश की पूर्व राजधानी से मिलता-जुलता है। इतिहासकार कर्नल टॉड बूंदी के राजमहलों के सौंदर्य पर मुग्ध हो गया था। उसमें राजस्थान के सभी रजवाड़ों के राजप्रसादो में बूंदी के राजमहल को सर्वश्रेष्ठ कहा। बूंदी के राजमहलों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके भीतर अनेक दुर्लभ भित्ति चित्रों के रूप में कला का एक अनमोल खजाना है। विशेषकर महाराज उम्मीद सिंह के शासन काल में निर्मित चित्रशाला बूंदी चित्रशैली का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।
इन महलो में छत्र महल ,अनिरुद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फूल महल प्रमुख है। 84 खंभों की छतरी शिकार बुर्ज तथा फुल सागर और नवल सागर सरोवर व गर्भ गुंजन तोप बूंदी के वैभव को दर्शाते हैं। विदेशी पत्रकार रुडयार्ड किपलिंग के शब्दों में यह मानव निर्मित नहीं बल्कि फरिश्तों द्वारा बनाया लगता है
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